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कुछ कहना था पर कोई सुनने के लिए ही तैयार नहीं। मेरे दोस्तों में से कोई ऐसा नहीं जो मेरी बात सुने यहां तक कि मेरी सहेलियां भी मेरी बात नही सुनना चाहती हैं। कहती हैं कि ‘मैं बिना सोचे समझे कुछ भी बोलती हूं’। ऐसा नहीं है आप मेरी बात का यकीन करिए मैं सोच-समझकर ही बोलती हूं बस लोग ही मेरी बात समझ नहीं पाते इसमें मेरी गलती क्या है।
ओ..ओ जल्दी जल्दी में सारी बातें करने में मैं अपना नाम ही बताना भूल गई। मेरा नाम है कशिश और मुझे आपसे उम्मीद है कि आप लोग मेरी बातें सुनेंगे इसलिए मैं इस मंच पर आई हूं।
बात कुछ यूं है जब एक बार मैं अपनी कुछ सहेलियों के साथ बैठी थी और इतने में ही हमारी आंखों के सामने से एक लड़का गुजरा, जो काफी बोल्ड लग रहा था। मैंने अपनी सहेलियों से कहा कि यह लड़का कितना बोल्ड लग रहा है। मेरे इतना कहना भर की देरी थी कि मेरी दोस्त रितु ने कहा कि ‘पागल लड़की, लड़कियों को लड़कों को देखकर ऐसा नहीं कहना चाहिए और ना ही लड़की के मन में लड़के के प्रति किसी भी तरह की भावनाओं का उठान होना चाहिए’।
मैंने अपनी फ्रेंड की बात सुन तो ली पर उसकी बात को मेरा मन मानने के लिए तैयार नहीं था। फिर क्या रात भर मन के अंदर कुछ विचार चलते रहे कि क्या मुझे किसी लड़के को देखकर कुछ ‘ऐसा-वैसा’ सोचने का हक नहीं है, कुछ ऐसा जो दिल में मस्ती की लहर ला दे उसे सोचने में क्या गलत है, आखिर मैं किसी का कत्ल तो कर नहीं रही। हालांकि थोड़ी देर के लिए मैंने अपने इस विचार को किनारे कर दिया और उस लड़के के आकर्षक और कहीं न कहीं परेशान करने वाले नैन-नक्श के बारे में सोचने लगी कि ‘उसका चेहरा कितना गोरा था। ऐसा रंग आमतौर पर लड़कियों में देखा जाता है। फिर मन में ख्याल आया कि वास्तव में उसका देह एक मर्द की तरह था जैसा कि किसी एक्शन फिल्म में हीरो का दिखाया जाता है, उसकी चाल मर्दाना थी बिल्कुल मर्दाना शायद जिसने मेरे दिल को कहीं न कहीं मजबूर कर दिया कि उसके बारे में सोचती ही रहूं। उस रात मेरे मन में क्या-क्या उठा मैं आपको इस छोटे से लेख में नहीं बता सकती, हां, वादा करती हूं कि जल्द ही फिर आपसे रूबरू होकर अपनी भावनाओं को शेयर करूंगी। हालांकि मुझे तब तक आपसे मेरी एक बात का जवाब जरूर चाहिए, उम्मीद है आप निराश नहीं करेंगे – क्या आपको लगता है कि लड़कियों के मन में वासनात्मक भावनाएं उठना ही गलत है?
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